किस्मत का लेखा जोखा है


किस्मत का लेखा जोखा है,
जो सोचा है सो धोखा है ।
उसने चोरी से देखा है,
 मैंने चोरी से देखा है ।

बालों की लट गालों पर लटकी है!
नज़र हर मत वाले की अटकी है ।
अदाएं उसकी कायल है,
पूरा कक्ष उसी पे घायल है !

बात है ये अध्ययन कक्ष की!
उस कक्ष के सबसे प्यारे सख्स की !
फूल सा चेहरा आँखें नशीली,
आवाज़ है उसकी बड़ी सुरीली !

कुछ रंगों में बाँधा है,
रंग लाल उसके बिन आधा है ।
नीला रंग उसपर मनभावन है,
वो लगती जैसे ऋतु सावन है !

उसका कद मानो हो क़ुतुब मीनार !
सूरत जैसे हो ताज महल !
है लाल किले सी मशहूर यहाँ !
वो रानी जोधा सी हूर लगे।

जिस्से बात भी हम ना कर पाए,
और उसकी क्या तारीफ़ करें,
दिल डरता है कुछ ना समझे,
उस्से बात हो ये सपना समझे !
हम उसको दिल से अपना समझें,
ना जाने हमको वो क्या समझे ।

~शान 

Comments

Popular posts from this blog

तुम्हारी याद आती है

मोहोब्बत