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माँ का बेटा हूँ

माँ का बेटा हूँ  याद में उसकी हर रात खुली आँख लेटा हूँ , खबरदार हूँ ! सोई न होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ ।  भीड़ में हूँ ,फिर भी लोगों से अलग मैं बैठा हूँ , खबरदार हूँ ! उलझन में होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ ।  आयने में देखता हूँ खुदको साथ उसका चेहरा भी दीखता है , खबरदार हूँ , मुझे देखती होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ ।  खेल बचपन के याद कर मैं अक्सर मुस्कुराता हूँ , खबरदार हूँ , याद कर खिलखिलाती होगी वो भी मैं जिस माँ का बीटा हूँ ।  घबराहट है कहीं आज में मैं भटक ना जाऊं , खबरदार हूँ , की डरती होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ ।  सोचता हूँ जल्द छुट्टी मिले मैं घर चला जाऊं , खबरदार हूँ , बेसब्र होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ ।  शान (उर्फ़ सुभम ) की कलम से।  ......