Posts

Showing posts from August, 2017

किस्मत का लेखा जोखा है

किस्मत का लेखा जोखा है, जो सोचा है सो धोखा है । उसने चोरी से देखा है,  मैंने चोरी से देखा है । बालों की लट गालों पर लटकी है! नज़र हर मत वाले की अटकी है । अदाएं उसकी कायल है, पूरा कक्ष उसी पे घायल है ! बात है ये अध्ययन कक्ष की! उस कक्ष के सबसे प्यारे सख्स की ! फूल सा चेहरा आँखें नशीली, आवाज़ है उसकी बड़ी सुरीली ! कुछ रंगों में बाँधा है, रंग लाल उसके बिन आधा है । नीला रंग उसपर मनभावन है, वो लगती जैसे ऋतु सावन है ! उसका कद मानो हो क़ुतुब मीनार ! सूरत जैसे हो ताज महल ! है लाल किले सी मशहूर यहाँ ! वो रानी जोधा सी हूर लगे। जिस्से बात भी हम ना कर पाए, और उसकी क्या तारीफ़ करें, दिल डरता है कुछ ना समझे, उस्से बात हो ये सपना समझे ! हम उसको दिल से अपना समझें, ना जाने हमको वो क्या समझे । ~शान