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Showing posts from January, 2016

मेरी दुविधा का कारण

मेरी दुविधा का कारण  जो कलम मेरी है उसे आप किसी और की बताते हो । लिखने पर रंग हरा निकलता है और लाल बताते हो । आसान भाषा में चाहत आप से है ,आप किसी और से बताते हो । आँखों से हां जताते हो, लबों से ना कह जाते हो । शान की कलम से। ....... 

इश्क़

इश्क़ आज सुबह सुबह खुदा कहता है - मत कर खुद्दारी को नीलाम इतना ! दीदार-ए-इश्क़ होने में वक्त बाकी है । शान की कलम से। ...... 

दोस्ती

खुदा का ही तो करिश्मा है जो दी है दोस्ती की पहचान हमे ज़माने में, वरना अक्सर देखा है अनजान बने रहते हैं लोग एक ही घराने में   | शान  की  कलम  से। ........