माँ का बेटा हूँ


माँ का बेटा हूँ 

याद में उसकी हर रात खुली आँख लेटा हूँ ,
खबरदार हूँ !
सोई न होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ । 

भीड़ में हूँ ,फिर भी लोगों से अलग मैं बैठा हूँ ,
खबरदार हूँ !
उलझन में होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ । 

आयने में देखता हूँ खुदको साथ उसका चेहरा भी दीखता है ,
खबरदार हूँ ,
मुझे देखती होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ । 

खेल बचपन के याद कर मैं अक्सर मुस्कुराता हूँ ,
खबरदार हूँ ,
याद कर खिलखिलाती होगी वो भी मैं जिस माँ का बीटा हूँ । 

घबराहट है कहीं आज में मैं भटक ना जाऊं ,
खबरदार हूँ ,
की डरती होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ । 

सोचता हूँ जल्द छुट्टी मिले मैं घर चला जाऊं ,
खबरदार हूँ ,
बेसब्र होगी वो भी मैं जिस माँ का बेटा हूँ । 

शान (उर्फ़ सुभम ) की कलम से।  ...... 

Comments

  1. Nice lines, a beautiful read.

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  2. Very well written Shaan! It's beautiful 😊

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  3. Wonderfully written... ����

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  4. pechan bdal gye, par aadat nai, tuhi hai mera tivari......

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  5. pechan bdal gye, par aadat nai, tuhi hai mera tivari......

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  6. bohot khhob janaab Shayar....super kavita :)

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  7. माँ की ममता अनमोल है। बहुत अच्छी कविता है।

    मृत्युंजय
    http://www.mrityunjayshrivastava.com/

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