मोहोब्बत
मैं लाख मोहोब्बत लिख दूँ, वो हर बार मना कर देती है। नफरत करता हूँ दिल से तब ये आँख गुनाह कर देती है! मैं हूँ दफा के घेरे में, हर बार गुनाह कर देता हूँ! उसकी याद का दरिया धरातल पर, सुनामी बन आ जाता है! मैं दस बार मोहोब्बत लिखता हूँ, वो सौ बार मना कर देती है! ~शान की कलम से